STORYMIRROR

चौंका बेटी निर्धन है कोई नहीं देती सूक्ष्म जीव कोविड रहने दौलत धूप-छांव सी सुखमय संसार क्यू है रहना सजग बुरों से सदा बच के रहना खुशियां अहंकार कौन है विविध व्याधियां चिंता है देती परिवार सी संस्कार प्रकृति का रूप संवरता है धनवान मेहनत

Hindi देती है Poems