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अहंकार खुश सुखमय संसार चौंका खुशियां भलाई देती है भलाई नहीं देती बेटी प्रकृति का रूप संवरता है किसलिए है परिवार सी संस्कार रहने दौलत धूप-छांव सी विविध व्याधियां चिंता है देती क्यू है धनवान रहना सजग निर्धन है कोई देती

Hindi देती है Poems